एक मोची बेहद गरीब था , उसकी पत्नी वेश्या थी ।
और उसका एक ही बेटा था जो कि प्रभु से बहुत प्रेम करता था ।
एक दिन वह मोची घर जल्दी आ गया तो देखा कि उसका बेटा बन्दगी में बैठा है । वह मोची क्रोध से भर गया और हाथ में पकड़ी हुई शराब की बोतल उसके सिर पर दे मारी । बेटे का सारा सिर खून और शराब से भर गया और उसकी एक आंख खत्म हो गयी । उसे आवाज़ आई कि " ए नोजवान , उठो , घबराओ नही , बन्दगी न छोड़ना , तुम इसी एक आंख वाले बन कर सबके दिलों पर राज़ करोगे ।" और उसने बन्दगी नहीं छोड़ी ।
उसका नाम एक आंख वाला खान पड़ गया । वह लोगों को प्रभु की बातें सुनाने लग गया । जब वह बोलता तो चिड़ियाँ चहचहाना बन्द कर देती थीं । उसे सुनने के लिए लोगों की भीड़ बढ़ने लगी ।
उस जगह का राजा काफी उम्र का हो चला था । उसकी कोई संतान न थी । वह अपने उत्तराधिकारी की तलाश में था । उस राजा ने उस एक आंख वाले का नाम सुन रखा था । राजा ने उसे बुला भेजा । और साथ ही अपने कुछ वज़ीरों की भी बुलाया । सभी उसके पास बैठ गए । राजा ने वजीरों को अपने दिल की बात बताते हुए कहा कि उसने अपना उत्तराधिकारी चुनने ही आप सभी को बुलाया है । आप सभी ने जो भी अच्छा काम इस राज्य के लिए किया है , बयां करें । एक आंख वाला भी वहीँ था और वो दिलों की जानने का गुण रखता था ।
सबसे पहले उसने खज़ाना वज़ीर से उसकी क़ाबलियत पूछी तो उसने जवाब में कहा कि उसने ख़ज़ाने में धन दौलत भरी है । सोने चांदी से भरपूर कर दिया है ।
तब राजा ने पूछा कि , " यह बताओ कि गरीब अब तक गरीब क्यों और भिखारी अब तक भिखारी क्यों है ? "
" शायद अल्लाह को यही मंज़ूर है । "
इसके बाद मुख्य काज़ी ( कानून मंत्री कह सकते हो )
ने कहा " मैंने मुल्क में सारे बन्दोबस्त ठीक किये हैं और कई नए कानून भी बनाए हैं । "
" तो फिर गरीब की फरियाद क्यों नहीं सुनी जाती ? ",
" शायद अल्लाह को यही मंज़ूर है ।"
अब मौलवी जी बोले , " मैने सभी मसजिदों का बंदोबस्त ठीक किया है "
" तो फिर लोग मस्जिद में जाकर मौलवियों की नसीहतें सुनने की बजाए एक आंख वाले को सुनना क्यों ज्यादा पसंद करते हैं ।
अंत में राजा ने एक आंख वाले से पूछा कि इनमें से राजा बनने की क़ाबलियत किसमें है ?
एक आंख वाले ने अपने अंदर की आवाज़ सुन कर जवाब दिया कि , " मैं कहता हूँ कि हर कोई अपने अंदर की दौलत ( खुदाई ) से मालामाल होता है न कि व्यापार और कर ( टैक्स ) लगाने से ।
" मेरा कहना है कि आपकी प्रजा अल्लाह के इश्क के कानून से शांति हासिल करती है न कि सिपाहियों के कौडों और जंज़ीरों से ।"
मेरा कहना है कि " हर कोई अपने मस्तक में गूंज रहे इलाही संगीत की धुनों से शांति हासिल करता है न कि मस्जिद में घुटने टेकने से । "
अब तीनों वज़ीर उसे मारने को लपके तो राजा ने उन्हें रोकते हुए कहा , " इसकी पूरी बात सुनी जाए ।"
" हर व्यक्ति को खुदा बराबर का प्यार देता है , किसी को कम या ज्यादा नही ।"
तीनों वज़ीर उसका जवाब सुन आग बबूला हो गए और उसे पीटने कर लिया लपके ।
तब राजा ने कड़क आवाज़ में कहा , " मैं इसे अपना उत्तराधिकारी बनाता हूँ । यह अभी इसी वक्त से राजा है ।"
अब वज़ीरों ने कहा " महाराज , यह एक मोची का बेटा है और इसकी माँ एक वेश्या है " ।
" पर अब यह मेरा बेटा और तुम्हारा राजा होगा । "
वह एक आंख वाला केवल इस लिये राजा बन गया कि वह अपने अंदर की आवाज़ को सुनता था । वह अंदर से प्रकाश से भरपूर था ।
.
आप सोचो कि प्रभु से प्यार करने वाले को वह बाहर से तो मालामाल करता ही है और भीतर से अपनी दौलत से भी भरपूर कर देता है । तो क्या आपको अपनी दौलत से भरपूर न करेगा ?
सोचो नही , बन्दगी करो । समय व्यर्थ न हो ।
और उसका एक ही बेटा था जो कि प्रभु से बहुत प्रेम करता था ।
एक दिन वह मोची घर जल्दी आ गया तो देखा कि उसका बेटा बन्दगी में बैठा है । वह मोची क्रोध से भर गया और हाथ में पकड़ी हुई शराब की बोतल उसके सिर पर दे मारी । बेटे का सारा सिर खून और शराब से भर गया और उसकी एक आंख खत्म हो गयी । उसे आवाज़ आई कि " ए नोजवान , उठो , घबराओ नही , बन्दगी न छोड़ना , तुम इसी एक आंख वाले बन कर सबके दिलों पर राज़ करोगे ।" और उसने बन्दगी नहीं छोड़ी ।
उसका नाम एक आंख वाला खान पड़ गया । वह लोगों को प्रभु की बातें सुनाने लग गया । जब वह बोलता तो चिड़ियाँ चहचहाना बन्द कर देती थीं । उसे सुनने के लिए लोगों की भीड़ बढ़ने लगी ।
उस जगह का राजा काफी उम्र का हो चला था । उसकी कोई संतान न थी । वह अपने उत्तराधिकारी की तलाश में था । उस राजा ने उस एक आंख वाले का नाम सुन रखा था । राजा ने उसे बुला भेजा । और साथ ही अपने कुछ वज़ीरों की भी बुलाया । सभी उसके पास बैठ गए । राजा ने वजीरों को अपने दिल की बात बताते हुए कहा कि उसने अपना उत्तराधिकारी चुनने ही आप सभी को बुलाया है । आप सभी ने जो भी अच्छा काम इस राज्य के लिए किया है , बयां करें । एक आंख वाला भी वहीँ था और वो दिलों की जानने का गुण रखता था ।
सबसे पहले उसने खज़ाना वज़ीर से उसकी क़ाबलियत पूछी तो उसने जवाब में कहा कि उसने ख़ज़ाने में धन दौलत भरी है । सोने चांदी से भरपूर कर दिया है ।
तब राजा ने पूछा कि , " यह बताओ कि गरीब अब तक गरीब क्यों और भिखारी अब तक भिखारी क्यों है ? "
" शायद अल्लाह को यही मंज़ूर है । "
इसके बाद मुख्य काज़ी ( कानून मंत्री कह सकते हो )
ने कहा " मैंने मुल्क में सारे बन्दोबस्त ठीक किये हैं और कई नए कानून भी बनाए हैं । "
" तो फिर गरीब की फरियाद क्यों नहीं सुनी जाती ? ",
" शायद अल्लाह को यही मंज़ूर है ।"
अब मौलवी जी बोले , " मैने सभी मसजिदों का बंदोबस्त ठीक किया है "
" तो फिर लोग मस्जिद में जाकर मौलवियों की नसीहतें सुनने की बजाए एक आंख वाले को सुनना क्यों ज्यादा पसंद करते हैं ।
अंत में राजा ने एक आंख वाले से पूछा कि इनमें से राजा बनने की क़ाबलियत किसमें है ?
एक आंख वाले ने अपने अंदर की आवाज़ सुन कर जवाब दिया कि , " मैं कहता हूँ कि हर कोई अपने अंदर की दौलत ( खुदाई ) से मालामाल होता है न कि व्यापार और कर ( टैक्स ) लगाने से ।
" मेरा कहना है कि आपकी प्रजा अल्लाह के इश्क के कानून से शांति हासिल करती है न कि सिपाहियों के कौडों और जंज़ीरों से ।"
मेरा कहना है कि " हर कोई अपने मस्तक में गूंज रहे इलाही संगीत की धुनों से शांति हासिल करता है न कि मस्जिद में घुटने टेकने से । "
अब तीनों वज़ीर उसे मारने को लपके तो राजा ने उन्हें रोकते हुए कहा , " इसकी पूरी बात सुनी जाए ।"
" हर व्यक्ति को खुदा बराबर का प्यार देता है , किसी को कम या ज्यादा नही ।"
तीनों वज़ीर उसका जवाब सुन आग बबूला हो गए और उसे पीटने कर लिया लपके ।
तब राजा ने कड़क आवाज़ में कहा , " मैं इसे अपना उत्तराधिकारी बनाता हूँ । यह अभी इसी वक्त से राजा है ।"
अब वज़ीरों ने कहा " महाराज , यह एक मोची का बेटा है और इसकी माँ एक वेश्या है " ।
" पर अब यह मेरा बेटा और तुम्हारा राजा होगा । "
वह एक आंख वाला केवल इस लिये राजा बन गया कि वह अपने अंदर की आवाज़ को सुनता था । वह अंदर से प्रकाश से भरपूर था ।
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आप सोचो कि प्रभु से प्यार करने वाले को वह बाहर से तो मालामाल करता ही है और भीतर से अपनी दौलत से भी भरपूर कर देता है । तो क्या आपको अपनी दौलत से भरपूर न करेगा ?
सोचो नही , बन्दगी करो । समय व्यर्थ न हो ।