Sunday, July 03, 2016

सिकन्दर की सोच

 आज हम आपके साथ सिकन्दर की बात करने जा रहे हैं ।

 सिकन्दर ने अपने बाग़ में पुरातन और वर्तमान समय के वीर पुरुषों की मूर्तियों को लगाया हुआ था । उन मूर्तियों को देखने के लिए लोग दूर दूर से आया करते थे । 
 एक बार किसी दूर देश का राजा उसके पास मेहमान बन कर आया हुआ था । सिकन्दर के राजमहल में ही ठहरा हुआ था । सिकन्दर उसे अपने साथ उसे बाग दिखाने के लिए ले गया । उस बाग़ में खड़ी सभी मूर्तियों से वह काफी प्रभावित हुआ । सिकन्दर ने उन सभी महापुरुषों के बारे में विस्तार से समझाया और बताया कि किस विशेषता के कारण उसकी मूर्ती को लगाया गया है । 
 सभी मूर्तियां देखने के बाद उस मेहमान ने हैरान होकर पुछा कि  " आपकी मूर्ति नज़र नही आई ? "
 इस पर सिकन्दर ने जवाब दिया कि " आने वाले समय में , मेरे बाद , मैं यह नही चाहता कि कोई मेरी मूर्ति को देख कर पूछे कि यह किसकी मूर्ति है , जो भी पूछे , बस यही पूछे कि यहां सिकन्दर की मूर्ति क्यों नही लगाई गई ? " 
  अब मैं पाठकों से पूछना चाहूंगा कि आपको सिकन्दर का जवाब कैसा लगा ? कृप्या जरूर बताएं ।

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